8TH SEMESTER ! भाग- 63 ( Mindsucked-2)
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मैं एकदम राइट टाइम पर क्लास के अंदर घुसा और फिर वो वक़्त भी आया जब क्वेस्चन पेपर बाँटा गया, मुझे जब क्वेस्चन पेपर मिला तो मैं कुछ देर तक क्वेस्चन पेपर के फ्रंट पेज को ही देख कर ना जाने क्या सोचने लगा. उस वक़्त ना जाने कैसे-कैसे ख़याल मुझे आने लगे...कभी नेक्स्ट वीक रिलीस होने वाली मूवी का नेम याद आता तो कभी कोई दर्द भरा गजल... फिर अचानक ही वेलकम पार्टी की यादें ताज़ा हो गयी, उसके बाद मैने आज तक जितने वो वाली वीडियो देखी थी ,वो मेरे आँखो के सामने चलने लगी और इस पर बॉलीवुड के कुछ गानो ने चार चाँद लगा दिए.....वो गाने कुछ ऐसे थे
"अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर,
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शाहँशाह कहते हैं..."
"दिल ने तुमको चुन लिया है, तुम भी इसको चुनो ना..."
"मुझे पीने का शौक नही,पीता हूँ गम भूलाने को..."
इन गानो ने पीछा छोड़ा तो धर्मेन्द्र पाजी का डाइलॉग"बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना..."
उसके बाद हनी सिंग भी आ गये और मैं अंदर ही अंदर गला फाड़ कर चिल्लाया
"honey singh... Ting ding ding.. Volume-1.."
"काश कोई मिल जाए, थक चुका हूँ मै ...
दूर - दूर से देख देख के पाक चुका हूँ मैं...."
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"साला ,मैं यहाँ पेपर देने आया हूँ.. या इंडियन आइडल का ऑडिशन देने ...?? ये क्या मतलब हो क्या रहा है मेरे साथ...?"मैं बहुत ही बुरी तरह से खुद पर झल्लाया और गुस्से से एक लात खुद की बेंच पर दे मारी....
"क्या प्राब्लम है..."उस यमराज टीचर ने मुझसे पुछा...
"कुछ नही सर"(अबे आँखे नीचे कर,वरना खूनी ग्राउंड पर लेजाकर पेल दूँगा...)
उसके बाद आन्सर शीट मे मैने अपना नाव,गाँव भरा... लेकिन तभी श्रीमान फाडू सिंग एक बार फिर मेरे ख़यालात मे डुबकी मार लिए.....
"काश कोई मिल जाए,थक चुका हूँ मैं, दूर दूर से देख देख के पक चुका हूँ मैं...."
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"अरे... अब नही..."मैने अपना सर पकड़ लिया लेकिन तभी कल रात की कॉल याद गयी,जिसमे मेरी माँ ने कहा था कि"बदनाम मत करना और पांडे जी की बेटी से अधिक नंबर लाना..."
"हार्ट अटैक से मर जाए ये पांडे और उसकी बेटी"
मेरा इस वक़्त मन कर रहा था कि मैं बेंच उठाऊ और उसे अपने सर पर दे मारू या फिर मेरे हाथ मे जो पेन है उसको आगे वाली की पिछवाड़े मे घुसा दूं या फिर अपने मे ....और इसी खुशी मे मैने शर्ट की जेब से पेन्सिल का आधा टुकड़ा निकाला और गुस्से मे उसके दो टुकड़े कर दिए.... वहा सब ऐसे शांत बैठे थे,जैसे अपनी -अपनी अर्थी पर लेटे हो,मेरे पेन्सिल तोड़ने की आवाज़ तुरंत पूरे क्लास रूम मे गूँज उठी...और यमराज ने एक बार फिर मुझे घूरा....
"सॉरी सर "यमराज को देख कर मैने कहा और क्वेस्चन पेपर की तरफ देखा....उसी वक़्त एक नज़र घड़ी पर पड़ी तो देखा कि आधा घंटा तो इसी मे निकल गया है...
"Mind Sucked..."
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"जा रहे हो..."जब मैं निशा के रूम से जाने के लिए हुआ तो वो बोली....
मेरी तरह वो खुद भी जानती थी कि मुझे जाना तो है ही, इसलिए उसने मुझे रुकने के लिए ना कहकर सिर्फ़ इतना ही पुछा....
"जाना तो पड़ेगा ,निशा...पर वादा करता हूँ,वापस ज़रूर आउन्गा..."
मेरे इस जवाब पर वो सिर्फ़ मुझे देखती रही, इस वक़्त वो क्या सोच रही थी शायद मैं जानता था... लेकिन वो वक़्त ही ऐसा था कि मैं चाहकर भी वहाँ नही रुक पाया, वो अपनी आँखो मे उदासी का गहरा सबब लिए उलझन मे फँसी मेरे सामने खड़ी थी.....उसे उस हालत मे देखकर जी किया कि उसे खुद से लिपटा लूं और कभी ना छोड़ू...वो शायद अंदर ही अंदर ये बोल भी रही थी कि मैं ना जाउ....
उसकी इस हालत को मैं बखूबी समझ रहा था,क्यूंकी एक दिन मैं भी ऐसे ही किसी के सामने खड़ा था और यही दुआ माँग रहा था कि वो ना जाए ! उस वक़्त मेरे द्वारा एक शब्द तक नही निकला, मैं उसका नाम लेकर ना तो उसे पुकार पाया और ना ही उसे रोक पाया और वो हमेशा के लिए मुझसे दूर चली गयी. कभी -कभी एक नाम इतना ज़ख़्म दे जाता है कि उसके बाद उस ज़ख़्म पर दुनिया भर की सारी दुआ ,दुनिया भर की सारी दवा बेअसर हो जाती है और सिर्फ दारू ही काम आती है... तब से एक बात जो मेरे बारे मे जो मुझे मालूम चली, वो ये की....
~मुझे दुआ की नहीं बल्कि दारू की जरूरत है....
और दारू की एक सबसे खास बात ये है की... ये कभी साथ नहीं छोड़ती, इसीलिए मै कॉलेज के दिनों मे अकसर कहा करता था की....
~I Love Daru More than Girls~
इस वक़्त भी कुछ कुछ ऐसा ही हो रहा था... मैं अब भी निशा के सामने ही खड़ा था और वो अब भी मुझे देखे जा रही थी......
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"चलता हूँ, मेरे पास इतना बड़ा घर नही है...जहाँ आराम से बैठकर खाना खाया जाए, अभी जाकर लोहा पिघलाना है...."
वो फिर चुप रही, वो मुझे ऐसे देख रही थी... जैसे की आख़िरी बार देख रही हो और इसके बाद वो मुझे कभी देख ही नही पाएगी.....मैं उसके करीब गया और उसकी कमर मे हाथ डालकर अपनी तरफ खींच कर बोला...
"तेरे घर मे नौकर भूत है क्या,जो कभी दिखते नही..या फिर घर का सारा काम तुझे करना पड़ता है...."जाते-जाते उसके चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए मैने कहा...."चल आजा, कल रात वाला गेम खेलते है..."
मेरा ऐसा कहना था की उसने तुरंत इनकार करते हुए अपनी गर्दन राइट तो लेफ्ट कर दी....
"मज़ाक कर रहा हूँ, बाद मे मिलता हूँ... See you Soon, My Moon..😉"
बोलते हुए मैं निशा के घर से बाहर आया और जब गेट के पास पहुचा तो वहाँ हमेशा अपने छोटे से रूम मे रहने वाले चौकीदार ने मुझे घूरा, जवाब मे मैने भी उसे आँखे दिखाई.....
"चल जा यहाँ से..."
"बेटा अच्छे से पहरा दे,वरना इस महीने की पगार काट लूँगा...."बोलकर मैं वहाँ से हँसते हुए अचानक दौड़ा और अपने फ्लैट पर पहुचा.....
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"क्या बे, अरमान... एकदम रापचिक माल सेट करके रखी है, तूने तो ...मेरा भी जुगाड़ है क्या..."
"मर्डर कर देगी तेरा वो... मेरा. यदि मैने ऐसा पूछा भी "सोफे पर बैठकर मैने अरुण से कहा"वैसे टाइम क्या हुआ है..."
"11 बज चुके है...."
"आज भी लेट "
"जल्दी से इनफॉर्म कर दे,वरना वो तुझे लात मार के निकाल देंगे...."वरुण बीच मे बोला
"एक काम करता हूँ...."वरुण की तरफ देखकर मैने कहा"जैसे वरुण ने छुट्टी ले रक्खी है,मैं भी कुछ दिनो के लिए छुट्टी ले लेता हूँ....क्या बोलता है..."
"Awesome आइडिया.... चल इसी खुशी मे पापा बोल..."अरुण ने कहा
लगातार दो दिन से दारू पी-पी कर हम तीनो बोर हो गये थे, इसलिए आज दारू पीने का मन नही था.. मतलब ऐसा नहीं की बिल्कुल भी मन नहीं था... मन था, पर उतना नहीं था. जहाँ एक तरफ निशा से फैक्ट्री जाने का झूठ बोलकर मैं यहाँ गप्पे लड़ा रहा था, वही वो शायद दिन भर शाम होने का इंतेज़ार कर रही थी....
"तेरे फर्स्ट सेमेस्टर के एग्जाम्स तक का सारा कांड अरुण ने कल रात मे बता दिया..."सिगरेट जलाने के लिए उसने मुझसे माचिस माँगी , लेकिन जब माचिस नही मिली तो मैने उसके मूह से सिगरेट निकाल कर अपने मूह मे फसाई और बोला
"अब देख मैं सिगरेट जलाता हूँ...."
उसके बाद मैने गैस का लाइटर उठाया और गैस जलाकर सिगरेट सुलगाई......
"तू दीपिका को पेल पाया कि नही...और विभा का क्या हुआ था..."
"डाइरेक्ट रिज़ल्ट बताऊ या फिर क्लास के माफिक़ बारी बारी लेक्चर सुनाऊ....??"
"मज़ा तो डाइरेक्ट रिज़ल्ट मे है ,लेकिन फिर भी लेक्चर ही सुना...."
"अरुण, साले तू क्या ध्यान से सुन रहा है.. तू तो जिया है ये सब.. चल जाके.. तू ब्रेक फास्ट तैयार कर...."
" ना.. ना.. तेरा कोई भरोषा नहीं.. मै नहीं जाऊंगा.. स्टोरी मे छोटा रोल दे दिया तो.. अपुन इधरीच बैठ के सुनेगा सब.. "
Niraj Pandey
07-Oct-2021 02:11 PM
शानदार
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Shalini Sharma
01-Oct-2021 01:16 PM
Nice
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آسی عباد الرحمٰن وانی
30-Sep-2021 10:18 AM
So good
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